मंगलवार, 8 सितंबर 2015

गुरू महिमा

गुरू महिमा
आपद मेटी आप  गूढ तत्व रो ज्ञान दे
परा मिटाया पाप  जीवां जूणी जगत में

अंतस घोर अँधार गुरू उजाळा ज्ञान रा
शरणाई साधार. सहज मिलावै साँवरो

ऊजळ दीप उजास  मोह रैण मगसी पड़ी
परकट भयौ परकास परमरूप परख्यो भलो

तीखण तपिया ताप आप जाप जपिया अती
छोड़ी मो मन छाप देव रूप दरसण दिया

दीन्ही जननी देह आतम रूप आयो नहीं
सतगुरू सदा सनेह पूरण पण पलटावियो

रतनसिहं चाँपावत कृत

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