रविवार, 13 सितंबर 2015

मारवाड़ी भाषा का आनंद-

----मारवाड़ी भाषा का आनंद---

भाईचारो मरतो दीखे,
पईसां लारे गेला
होग्या।

घर सुं भाग गुरुजी बणग्या,
चोर उचक्का चेला होग्या,

चंदो खार कार में घुमे,
भगत मोकळा भेळा होग्या।

कम्प्यूटर को आयो जमानो,
पढ़ लिख ढ़ोलीघोड़ा होग्या,

पढ़ी-लिखी लुगायां ल्याया
काम करण रा फोङा होग्या ।

घर-घर गाड़ी-घोड़ा होग्या,
जेब-जेब मोबाईल होग्या।

छोरयां तो हूंती आई पण
आज पराया छोरा होग्या,

राल्यां तो उघड़बा लागी,
न्यारा-न्यारा डोरा होग्या।

इतिहासां में गयो घूंघटो,
पाऊडर पुतिया मूंडा होग्या,

झरोखां री जाल्यां टूटी,
म्हेल पुराणां टूंढ़ा होग्या।

भारी-भारी बस्ता होग्या,
टाबर टींगर हळका होग्या,

मोठ बाजरी ने कुछ पूछे,
पतळा-पतळा फलका होग्या।

रूंख भाडकर ठूंठ लेयग्या
जंगळ सब मैदान होयग्या,

नाडी नदियां री छाती पर
बंगला आलीशान होयग्या।

मायड़भाषा ने भूल गया,
अंगरेजी का दास होयग्या,

टांग कका की आवे कोनी
ऐमे बी.ए. पास होयग्या।

सत संगत व्यापार होयग्यो,
बिकाऊ भगवान होयग्या,

आदमी रा नाम बदलता आया,
देवी देवता रा नाम बदल लाग्या

भगवा भेष ब्याज रो धंधो,
धरम बेच धनवान होयग्या।

ओल्ड बोल्ड मां बाप होयग्या,
सासु सुसरा चौखा होग्या,

सेवा रा सपनां देख्या पण
आंख खुली तो धोखा होग्या।

बिना मूँछ रा मरद होयग्या,
लुगायां रा राज होयग्या,

दूध बेचकर दारू ल्यावे,
बरबादी रा साज होयग्या।

तीजे दिन तलाक होयग्यों,
लाडो लाडी न्यारा होग्या,

कांकण डोरां खुलियां पेली
परण्या बींद कंवारा होग्या।

बिना रूत रा बेंगण होग्या,
सियाळा में आम्बा होग्या,

इंजेक्शन सूं गोळ तरबूज
फूल-फूल कर लम्बा हो गया

दिवलो करे उजास जगत में
खुद रे तळे अंधेरा होग्या।

मन मरजी रा भाव होयग्या,
पंसेरी रा पाव होयग्या,

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